सुनसान और अपरिचित स्थान, चारों ओर अजीब वेशभूषा में लोग, और उनके बीच अपने परिवार की महिलाओं एवं बच्चों के साथ फँसे असहाय पर्यटक यह दृश्य किसी भंवर जाल में उलझे मेहमानों का प्रतीत होता है, जो वहाँ से निकलने का मार्ग खोजते हुए हताश होकर रोते, चीखते और चिल्लाते हैं। सम, जैसलमेर एक कृत्रिम रूप से विकसित पर्यटन स्थल अब एक सुनियोजित ठगी का केंद्र बन चुका है। यहाँ पर्यटकों को योजनाबद्ध तरीके से जाल में फँसाया जाता है। अधिकांश रिसॉर्ट या तो ठेके पर दिए गए हैं या केवल नाम मात्र के हैं। आकर्षक प्रचार-प्रसार के माध्यम से आगंतुकों को लुभाया जाता है, किंतु वास्तविकता भयावह होती है। गुजरात से आने वाले पर्यटक अपने परिवार के साथ यहाँ घूमने, आनंद लेने और विश्राम करने की योजना बनाते हैं। वे ऑनलाइन बुकिंग कराते हैं, यह सोचकर कि वे अपनी पसंद का खान-पान करेंगे, घूमेंगे-फिरेंगे और फिर सुरक्षित अपने घर लौट जाएँगे। किंतु हाल ही में एक पर्यटक के साथ हुई मारपीट की घटना ने इस स्थान को फिर से चर्चा में ला दिया। एक पर्यटक पर संगठित गिरोह द्वारा योजनाबद्ध तरीके से हमला किया गया। हमलावरों के हाथों में लोहे की छड़ें और डंडे थे, और वे ऐसे टूट पड़े मानो कोई व्यक्तिगत शत्रुता निकाल रहे हों। उनके परिवार की एक अबला नारी रोती-चिल्लाती गिड़गिड़ाती रही, किंतु वे निर्दयी उसे छोड़ने वाले नहीं थे। जैसे ही उन्हें ज्ञात हुआ कि उस महिला ने उनकी समस्त करतूतें मोबाइल में रिकॉर्ड कर ली हैं, वे उस पर झपट्टा मारने दौड़ पड़े।

यहाँ न केवल आर्थिक शोषण किया जाता है, बल्कि मानसिक एवं शारीरिक उत्पीड़न भी आम बात है। पुलिस तक पर हमले हो चुके हैं, और परिवार सहित यात्रा करने वाले पर्यटकों को विशेष रूप से निशाना बनाया जाता है। स्थानीय दलालों (लपकों) के माध्यम से पर्यटकों की पूरी जानकारी पहले ही रिसॉर्ट मालिकों तक पहुँचा दी जाती है, जिससे उनकी ‘बोली’ तक लगाई जाती है। आरंभ में कम कीमत बताकर बाद में कई गुना अधिक धनराशि वसूली जाती है। यदि कोई पर्यटक इसका विरोध करता है, तो उसे झुंड बनाकर डराया-धमकाया जाता है। महिलाओं को विशेष रूप से विभिन्न युक्तियों से प्रभावित किया जाता है, जिनमें सुगंध, संगीत एवं अन्य मनोरंजन के साधन सम्मिलित होते हैं। बड़े टूर आयोजकों, प्रशासन और मीडिया को पहले ही अपने पक्ष में कर लिया जाता है, जिससे कोई नकारात्मक खबर बाहर न आ सके। ऑनलाइन फर्जी बुकिंग, सकारात्मक समीक्षाओं की खरीद-फरोख्त और नकारात्मक समीक्षाओं को हटाने की प्रक्रिया यहाँ आम बात हो चुकी है। पर्यटकों को शराब एवं अन्य प्रलोभन देकर फँसाया जाता है और बाद में उन्हें ब्लैकमेल किया जाता है। दुर्लभ दृश्यों को दिखाने के नाम पर छल किया जाता है—वन विभाग की तारबंदी को ‘पाकिस्तान सीमा’ बताकर भ्रमित किया जाता है, और कुछ विशेष खाद्य पदार्थों को ‘दुर्लभ जीवों का मांस’ कहकर परोसा जाता है। मारपीट की घटनाओं के अतिरिक्त, महिलाओं को शराब पिलाकर उनकी अस्मिता से खिलवाड़ करने की घटनाएँ भी सामने आती हैं, किंतु इन्हें चतुराई से दबा दिया जाता है। सम का पर्यटन अब मात्र मनोरंजन का साधन नहीं रहा, बल्कि यह एक संगठित ठगी का केंद्र बन चुका है। अतः वहाँ जाने से पहले सतर्कता बरतना अत्यंत आवश्यक है।