मरु महोत्सव में जैसलमेर की संस्कृति पर सूफियाना तमाचा

मरु महोत्सव में जैसलमेर की संस्कृति पर सूफियाना तमाचा

कम्युनिस्ट लोग फैज की प्रसिद्ध गजल गाते हैं "नाम रहेगा अल्लाह का" तो वे वास्तव में इस्लाम की प्रशंसा में फतेह मक्का के मजहबी गीत ही गाते हैं, कहीं कोई धर्मनिरपेक्षता नहीं है। जैसलमेर में 10 फरवरी की रात मरुमेला के उपलक्ष्य में रंगारंग कार्यक्रम हुआ।
मरु महोत्सव में खुहड़ी के साथ अन्याय क्यों ?

मरु महोत्सव में खुहड़ी के साथ अन्याय क्यों ?

मरु महोत्सव, थार के सुनहरे रेगिस्तान में आयोजित होने वाला एक भव्य सांस्कृतिक उत्सव है, जो न केवल जैसलमेर की पहचान है, बल्कि इसकी लोकसंस्कृति, परंपराओं और पर्यटन को भी बढ़ावा देता है। वर्षों से यह महोत्सव खुहड़ी में आयोजित होता आ रहा है, जहाँ ऊँचे-ऊँचे रेतीले धोरे, लोककला और संस्कृति अपने चरम पर होती हैं।