मरु महोत्सव, थार के सुनहरे रेगिस्तान में आयोजित होने वाला एक भव्य सांस्कृतिक उत्सव है, जो न केवल जैसलमेर की पहचान है, बल्कि इसकी लोकसंस्कृति, परंपराओं और पर्यटन को भी बढ़ावा देता है। वर्षों से यह महोत्सव खुहड़ी में आयोजित होता आ रहा है, जहाँ ऊँचे-ऊँचे रेतीले धोरे, लोककला और संस्कृति अपने चरम पर होती हैं। यहाँ आने वाले पर्यटक राजस्थान की पारंपरिक कला, संगीत और जीवनशैली का वास्तविक अनुभव प्राप्त करते हैं।
हाल ही में प्रशासन द्वारा किए गए डेजर्ट नेशनल पार्क (DNP) क्षेत्र के सीमांकन में यह स्पष्ट हुआ कि खुहड़ी गाँव और यहाँ स्थित पर्यटन स्थल DNP की सीमा से बाहर हैं। इसके बावजूद, वन विभाग और DNP अधिकारियों द्वारा खुहड़ी में मरु महोत्सव के आयोजन पर आपत्ति जताई गई है, जो न केवल स्थानीय पर्यटन को प्रभावित करेगा बल्कि क्षेत्रीय लोगों की भावनाओं को भी ठेस पहुँचाएगा।

- खुहड़ी: मरु महोत्सव का प्रमुख आकर्षण
पिछले कई वर्षों से खुहड़ी मरु महोत्सव का केंद्र रहा है। यहाँ के प्राकृतिक रेत के टीलों पर आयोजित कार्यक्रमों से पर्यटकों को असली रेगिस्तानी अनुभव प्राप्त होता था। सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ, ऊँट सफारी, लोकनृत्य, पारंपरिक खेल, हस्तशिल्प प्रदर्शन और स्थानीय खानपान, सब मिलकर खुहड़ी को मरु महोत्सव के लिए आदर्श स्थल बनाते थे।
परंतु, इस वर्ष प्रशासन ने खुहड़ी को महोत्सव से अलग करने की योजना बनाई है, जो अन्यायपूर्ण प्रतीत होती है। स्थानीय व्यवसायी, जो मुख्यतः गाइड, होटल संचालक, कैम्प मालिक, ऊँट सफारी संचालक और हस्तशिल्प विक्रेता हैं, इस आयोजन से प्रत्यक्ष रूप से लाभान्वित होते थे। यह निर्णय उनके व्यवसाय और आजीविका पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा।

- पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
खुहड़ी का पर्यटन उद्योग मुख्यतः स्थानीय हिंदू समुदाय द्वारा संचालित किया जाता है। यहाँ मरु महोत्सव के आयोजन से न केवल पर्यटन को बढ़ावा मिलता था, बल्कि हजारों लोगों को रोजगार भी प्राप्त होता था। यदि प्रशासन ने इसे हटाने का निर्णय लिया है, तो इसका निष्पक्ष मूल्यांकन किया जाना आवश्यक है।
यह संदेह उत्पन्न होता है कि प्रशासनिक स्तर पर योजनाबद्ध रूप से खुहड़ी को हटाकर सम को बढ़ावा देने की रणनीति अपनाई जा रही है। यदि यह निर्णय किसी राजनीतिक या सांप्रदायिक कारणों से लिया गया है, तो यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण होगा। पर्यटन विकास की नीतियाँ निष्पक्ष और समावेशी होनी चाहिएँ, ताकि सभी क्षेत्रों और समुदायों को समान अवसर प्राप्त हो सकें।